सतना में तिल तिल कर मर रहा था परिवार, अधिकारी अपने सिस्टम में थे मस्त
मौत के बाद भी परिवार पर दोषारोपण करने से बाज नही आ रहे जिम्मेदार अधिकारी
सतना। एक बदनसीब बाप रोज सरकारी मदत के लिए अफसरों के दरवाजे पर नाक रगड़ने जाता था, लेकिन उस लाचार बदनसीब बाप को शिवराज के अफसरों की कथनी और करनी अलग नजर आती थी, वो अपनी व्यथा बताता था तो अफसर उसका उपहास उड़ाते थे, उसे फुटबॉल बना इस आफिस से उस ऑफिस रवाना कर देते है।
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आखिर किसी जरूरतमंद को सरकारी योजना का लाभ जरूरत के समय क्यों नही मिलता, खून बेचकर जब वह सिलेंडर और आटा लेकर घर पहुंचा था तब उसके स्कूल संचालक ने स्कूली फीस वसूली के लिए फरमान सुना दिया जिसके बाद एक लाचार बाप टूट गया और मौत को गले लगा लिया। अब प्रशासनिक लापरवाही के कारण प्रमोद की आत्महत्या के बाद भी प्रशासन उसी परिवार पर दोषारोपण कर अपनी कमीज सफेद बताने में लगा है। अगर यह बदनसीब परिवार इतना गरीब नही था तो प्रमोद की आत्महत्या के बाद प्रशासन ने 50 हजार की मदद क्यों कि.?