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BIG BREAKING NEWS : NCRB की रिपोर्ट से मचा देश में हड़कंप ! गायब हुई 13 लाख से अधिक महिलाये

BIG BREAKING NEWS : NCRB की रिपोर्ट से मचा देश में हड़कंप ! गायब हुई 13 लाख से अधिक महिलाये

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भारत में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं और यह सही भी है। हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) का सर्वे आया है। साल दर साल यह सर्वे भारत में होने वाले अपराधों की एक धुंधली सच्चाई पेश करता है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। सर्वे के मुताबिक, 2019 से 2021 के बीच तीन साल में 13 लाख नाबालिग लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं। यह चौंकाने वाली बात है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के लापता होने के बाद भी उनके खिलाफ होने वाले अन्य अपराधों की संख्या घटी नहीं है।

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BIG BREAKING NEWS : मध्यप्रदेश से सबसे गायब हुई लड़किया

इस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा लड़कियां मध्य प्रदेश से गायब हुई हैं। मध्यप्रदेश में 1,60,180 महिलाएं और 38,234 नाबालिग लड़कियां इस दौरान लापता हुई हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल का नंबर आता है जहां 1,56,905 महिलाएं और 13,033 नाबालिग लड़कियां गायब हुई हैं। इसके बाद नंबर आता है महाराष्ट्र का जहां 1,78,400 महिलाएं और 13,033 नाबालिग लड़कियों के लिए मिसिंग कंप्लेंट लिखवाई गई थी। ओडिशा में 70,222 महिलाएं और 16,649 लड़कियों के गायब होने की खबर आई है। छत्तीसगढ़ में यही आंकड़ा 49,116 महिलाएं और 10,817 लड़कियों का था।

वही यूनियन टेरिटरी की बात करें, तो सबसे ज्यादा आंकड़े दिल्ली में आए हैं। दिल्ली में 61,054 महिलाएं और 22,919 नाबालिग लड़कियां 2019 से 2021 के बीच मिसिंग रिपोर्ट की गई हैं। जम्मू और कश्मीर में 8,617 महिलाएं और 1,148 लड़कियां गायब हुई हैं। कुल मिलाकर राज्यसभा में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में यह बताया गया कि 10,61,648 महिलाएं 18 साल से ऊपर थीं और 2,51,430 लड़कियां नाबालिग जिनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।

BIG BREAKING NEWS : धनकड़ के समक्ष्य पेश किया गया अकड़ा

देश भर में मणिपुर वायरल वीडियो कांड के बाद से ही महिलाओं की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं और अब यह आंकड़ा बताता है कि हम अपनी ही बेटियों की रक्षा करने में कितने असफल साबित हो रहे।
फिलहाल जो बातें सामने आई हैं वो सिर्फ आंकड़े हैं, लेकिन किसी ना किसी के लिए वो सरकारी आंकड़े नाम भी होते हैं। राज्य सभा में पेश किए गए डेटा के साथ यह भी बताया गया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बहुत प्रयास किए गए हैं, लेकिन आए दिन होती घटनाएं कहती हैं कि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मैं आपको बता दूं कि ये आंकड़े उन रिपोर्ट्स के हिसाब से हैं जिन्हें फाइल किया गया, लेकिन ऐसे भी कई मामले होते हैं जिनकी जानकारी किसी को नहीं होती। ऐसे में यह माना जा सकता है कि असल मायने में यह नंबर कितना ज्यादा होगा। जब आंकड़े नाम की शक्ल ले लेते हैं, तो तकलीफ हमें और आपको ही होती है। ऐसे में क्या यह उम्मीद नहीं लगाई जा सकती कि हम अपने-अपने हिस्से की ड्यूटी निभाएंगे और समाज को थोड़ा और सुरक्षित बनाने में मदद करेंगे।

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