मध्यप्रदेशरीवा

जवा तहसील अंतर्गत समितियों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार पर नही हो रही कार्यवाही।

जवा तहसील अंतर्गत समितियों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार पर नही हो रही कार्यवाही।

जवा तहसील अंतर्गत अतरैला,लूक,गढ़वा भुनगांव और बरहुला समितियों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार पर नही हो रही कार्यवाही।

खबर प्रकाशन के बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारी जांच एवं कार्यवाही में नही ले रहे रुचि।

दागियों को  सौंपी पुनः गई जिम्मेदारी।

कई किसानों के नाम पर फर्जी केसीसी और परमिट का किया गया उपयोग।

Jawa- खबर रीवा जिले के जवा तहसील अंतर्गत अतरैला,लूक,गढ़वा बरहुला और भुनगांव सेवा सहकारी समिति से सामने आया है जहा पर समिति प्रवंधको के द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समिति प्रबंधकों के द्वारा धान तौलाई में किसानों के साथ तौलाई और वजन में लूट की गई थी   जिसकी शिकायत पर कुछ समिति प्रबंधकों पर निलंबन की कार्यवाही की गई थी लेकिन समिति प्रबंधक अपने पावर और पैसे के दम पर पुनः प्रभार लेने में कामयाब हो गए।

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सहकारिता विभाग आंख मूंद कर पुनः दागियों को बड़ी जिम्मेदारी दे दी।बताया जाता है कुछ समिति प्रबंधको के द्वारा बिना जानकारी दिए किसानों के नाम केसीसी पर लाखों की राशि निकाली गई है जिनका उपयोग कर मूल राशि को जमा कर देते हैं अगर शासन द्वारा ऋण माफी कर दी गयी तो उन सभी समिति प्रबंधको की बल्ले बल्ले हो जाता है और किसानों को पता ही नही चल पाता कि उसने केसीसी ली है ।
जानकारी ये भी मिली है कि कुछ किसानों का परमिट बनाकर समिति प्रबंधक किसानों के नाम पर खाद की भी कालाबाजारी करते है जिसकी जांच हो जाये तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है लेकिन सवाल यही की जांच करे तो करे कौन?

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यदि आज भी लोकायुक्त और आयकर विभाग द्वारा जांच की जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है ।आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है कि जिस समिति प्रबंधक की वेतन 20 से 25 हजार के बीच है उन समिति प्रबंधकों के पास लाखो का गांव से लेकर शहर तक बड़े बड़े मकान, आलीशान गाड़ी,बैंक बैलेन्स और खुद की बनाई हुई प्रॉपर्टी है उनके बच्चे बेहतरीन विद्यालय में पढ़ रहे है या पढ़ चुके है आखिर ये पैसा कहा से आया, जो जांच के बाद ही खुलासा हो सकता है  ।

जबकि सहकारिता विभाग रीवा को सारे मामलो की जानकारी है फिर भी भ्रष्टाचारियों और दागियों को खरीदी केंद्रों का प्रभार दिया जा रहा है। जबकि जांच कर कार्यवाही करनीचाहिए न कि उन्हें प्रभार दिया जाय।
जिसके लिए किसानों ने जिला कलेक्टर से मामले की जांच कर कार्यवाही की मांग की है।

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