रीवा। जिले में एक ड्रग इंस्पेक्टर के भरोसे पूरा रीवा संभाग है। प्रदेश सरकार के निर्देश के बावजूद रीवा के मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्टों का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। आप को बता दें कि रीवा जिले में तीन हजार से अधिक मेडिकल स्टोर है चार सौ से अधिक तो होलसेल की दवा की दुकानें हैं। यहां पर मात्र एक ड्रग इंस्पेक्टर तैनात हैं और पूरा रीवा संभाग देखने के लिये है। जिले की दवाओं के सैंपल भी लेनें होते हैं दवा निर्माता कंपनियों और पैथोलॉजी लैबो की भी जांच करनी होती है।
मेडिकल स्टोर को लाइसेंस लेने के लिए आवेदन करते समय पूरी जांच की जाती है कि फार्मासिस्ट वहां पर तैनात हैं या नहीं जहां फार्मासिस्ट होते हैं उन्हीं मेडिकल स्टोरों को लाइसेंस देने की संस्कृति की जाती है और मेडिकल स्टोर का रिनुअल कराते समय भी इसका ध्यान रखा जाता है। रीवा में ड्रग इंस्पेक्टर ना होने के कारण दवा दुकानदारों की चल रही मनमानी इस कारण समय-समय पर की जानेवाली दवा दुकानों की जांच नहीं हो पा रही है इधर सिविल सर्जन कार्यालय में समीक्षा के बाद जारी की जानेवाली दवा दुकानदारों की सूची भी वक्त पर जारी नहीं की जा रही है नतीजतन दवा दुकानदारों की मनमानी चल रही है।
रीवा मेडिकल का हब माना जाता है इस स्थिति में चाहकर भी दवा दुकानदारों की मनमानी पर रोक नहीं लगा पाते हैं। आप को बता दें कि सालों से रीवा के ग्रामीण और शहरी इलाकों में नहीं हुई जांच शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश दवा की दुकानों पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हों रहीं हैं सैकड़ों की संख्या में छोटी बड़ी दवा दुकानें संचालित हो रही है जानकार बताते हैं कि पिछले कई सालों से एक बार भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में दवा दुकानदारों की जांच नियमित तौर पर नहीं हो पाई हैं।
इनका कहना है
यह सही है कि रीवा संभाग में एकमात्र ड्रग इंस्पेक्टर होने के कारण मेडिकल स्टोर और लैब की जांच समय पर विधिवत तरीके से नहीं हो पाती है। इसके बाद भी संबंधित अधिकारी को जिले के सभी मेडिकल स्टोर की समय-समय पर जांच करने के निर्देश दिए जाएंगे, जिससे मनमानी पर अंकुश लग सके। सीएमएचओ रीवा