निर्माण और प्रारंभिक इतिहास:
रीवा किले का निर्माण सबसे पहले राजा व्याघ्रदेव द्वारा 15वीं शताब्दी में किया गया था। बघेल वंश की उत्पत्ति गुजरात के चालुक्य वंश से मानी जाती है, और वे रीवा क्षेत्र में आकर बस गए। यह किला सुरक्षा और प्रशासनिक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। किला रणनीतिक रूप से एक पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे शत्रुओं से सुरक्षित बनाता था।
बघेल राजवंश का शासन:
रीवा किला बघेल राजवंश की राजधानी के रूप में कार्य करता था। बघेल राजाओं ने यहां से लंबे समय तक शासन किया और रीवा राज्य को एक प्रमुख रियासत के रूप में विकसित किया। रीवा राज्य की स्थापना 16वीं शताब्दी में मानी जाती है, और इसका सबसे प्रमुख राजा महाराजा गुलाब सिंह था, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में राज्य का विस्तार किया। उनके उत्तराधिकारियों ने भी किले का विकास किया और इसे समृद्ध बनाया।
गोविंदगढ़ किला:
रीवा के नजदीक स्थित गोविंदगढ़ किला, बघेल राजाओं का एक और प्रमुख किला था, जिसे वे अपने ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में उपयोग करते थे। गोविंदगढ़ किले के आसपास गोविंद सागर झील भी है, जो इस क्षेत्र की सुंदरता और महत्ता को बढ़ाती है।
स्वतंत्रता संग्राम और किले का महत्व:
रीवा किले का ऐतिहासिक महत्व स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी देखा गया था। रीवा रियासत ने ब्रिटिश राज के अधीन रहते हुए भी अपने स्वायत्तता को बनाए रखा, और रीवा के राजाओं का स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान रहा।
वर्तमान स्थिति:
आज, रीवा किला एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में खड़ा है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, और इसके भीतर कई महत्वपूर्ण संरचनाएँ और मंदिर हैं। किले के भीतर महल, बुर्ज और अन्य संरचनाएँ रीवा के गौरवशाली अतीत की गवाही देती हैं।
रीवा किला बघेल वंश की शाही महिमा और इतिहास का प्रतीक है, और इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व आज भी रीवा और मध्य प्रदेश के इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखता है।