रीवा

Rewa News: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से उत्पन्न शिक्षा का संकट विकट हालात! मुद्दा गंभीर है !

Rewa News: यदि आप मध्यप्रदेश के रीवा जिले में रह रहे हैं और अपने बेटा-बेटी को नर्सरी से 12वीं तक, रीवा शहर में स्थित  कुछ नामचीन  स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं तो अपनी सोच को  बदल लीजिए ये विद्यालय साधारण परिवार और आम-आदमी के पहुंच से दूर नज़र आने लगे हैं. अगर आप भी इन प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं और आप के पास पर्याप्त आमदनी नहीं है तो भूल जाइए इस बात को. आपके सपने के पूर्ण होने में कौन सी अड़चन आएगी उसको  जानकर  आप खुद मना कर देंगे.

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आइये समझते हैं उन सभी पहलुओं को.

हमारे जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करने, सामाजिक मुद्दों हेतु जागरूकता लाने के साथ पर्यावरणीय समस्याओं को सुलझाने हेतु शिक्षा की जरूरत होती ही है. शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर रूप देसकता है. राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक के रूप में शिक्षा अत्यन्त जरूरी कारक है.

राष्ट्र की प्रगति में शिक्षित समाज का होना आवश्यक है.इस सबके बाद भी कुछ निजी विद्यालयों ने शिक्षा की राह मुश्किल करने की इच्छा बना रखी है. इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं स्कूल का प्रवेश शुल्क इतना अधिक है की आप नही भर पाएंगे ऊपर से इन स्कूलों की किताबें सिर्फ इनके बताए पते पर ही मिलेंगी क्यों की किसी और किताब विक्रेता के यहां नही मिलेगी कारण साफ है.कमीशन की चाह.इसी तरह यूनिफॉर्म भी वहीं मिलेगा जहां स्कूल बताएगा.

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इन स्कूलों में पढ़ाना अब आसान नहीं पहला कारण बहुत मिन्नतों के बाद प्रवेश मिलता है प्रवेश के लिए भटकना पड़ता है एवं प्रवेश किसी प्रकार से हो भी जाता है तो फीस एवं किताबें इतनी महगी हैं की आम आदमी की कमर टूट जायेगी। इसमें सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए । सरकारी स्कूलों में शिक्षा की व्यवस्था ऐसी हो जाए अगर तो हर कोई अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकता है उसे कहीं भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

नामचीन स्कूलों में में सीबीएसई की किताबें बहुत खरीदना सब के बस में नहीं जबकि एनसीईआरटी की किताबें सस्ती हैं परंतु ये किताबें यह नहीं पढ़ाई जाती हैं क्यों की इन किताबों के सस्ते होने से स्कूल एवं किताब विक्रेता को कुछ नही बचेगा। जब की इन किताबों का वजन इतना अधिक होता है की उनका खुद का वजन इतना नहीं होता है ।

पंजाब सरकार ने निजी स्कूलों पर नकेल कसने का काम किया है यहाँ भी जरुरत है ऐसे ही पावंदी लगाने की।

एक अभिवावक से जब  न्यूजनगरी के रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने बताया की मेरा बच्चा कक्षा 3 में पढ़ रहा है कक्षा 3 की किताब एवं कॉपी 4807/ रुपए में मिला है। उन्होंने कहा अभी तो पूरा साल बचा है इस तरह में कोई भी अपने बच्चों को नामचीन स्कूल में पढ़ाने का सपना तक नहीं देखेगा।
शिक्षा का अधिकार पाने में बच्चे और अभिभावकों को कितनी कठिनाई उठानी पड़ेगी. क्या सरकार अपने नियम कड़े करते हुए इन विद्यालयों को नियंत्रित कर पाएगी या नही यह समय बताएगा।

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