भारत के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला “2G स्पेक्ट्रम घोटाला” माना जाता है। यह घोटाला 2008 में हुआ था और इसमें दूरसंचार मंत्रालय द्वारा 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंसों के आवंटन में भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। इस घोटाले में अनुमानित 1.76 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई थी।
मुख्य बिंदु:
- घोटाले की शुरुआत: यह घोटाला तब उजागर हुआ जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दूरसंचार मंत्रालय ने 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंसों का आवंटन बाजार दरों के मुकाबले बहुत कम कीमत पर किया, जिससे सरकार को भारी वित्तीय हानि हुई।
- मुख्य आरोपी: इस घोटाले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा मुख्य आरोपी थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रक्रियाओं में हेरफेर किया।
- सीबीआई जांच और अदालती मामले: सीबीआई ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया और मामला अदालत में चला। हालांकि, 2017 में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया।
- राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव: यह घोटाला भारतीय राजनीति में बड़ी हलचल का कारण बना और इसके चलते दूरसंचार क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास हिल गया। इसका असर भारतीय टेलीकॉम सेक्टर पर भी पड़ा।
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अन्य प्रमुख घोटाले:
- कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला: इस घोटाले में भी सरकार पर कोल ब्लॉक्स के आवंटन में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप था।
- कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला: 2010 में हुए दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी में भी भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था।
- सत्यम घोटाला: 2009 में सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक रामलिंग राजू ने कंपनी के खातों में हेराफेरी की बात कबूल की थी।
यह घोटाले भारतीय प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को उजागर करते हैं और पारदर्शिता और जवाबदेही की महत्वता को रेखांकित करते हैं।