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मिनर्वा हॉस्पिटल का संरक्षक कौन?

मिनर्वा हॉस्पिटल का संरक्षक कौन?

रीवा : मिनर्वा हॉस्पिटल शासन के नियमों को तक पर रख कर बनाया गया है । हॉस्पिटल की दीवार की दूरी पेट्रोल पम्प से महज 5 फिट भी नहीं है। पैसों के दम पर खड़ा किया गया हॉस्पिटल, पेट्रोल पंप के ऊपर बना हॉस्पिटल , हॉस्पिटल को एनओसी किसने दिया हॉस्पिटल के पास हॉस्पिटल के मानक नियमों के हिसाब से इतनी जगह नही फायर जैसी दुर्घटना होने पर इतनी जगह नहीं की लोग इकठ्ठा हो सकें । किस मापदंड के हिसाब से एनओसी दी गई।

MCU REWA: मीडिया की पढ़ाई के लिए सर्वोत्तम माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय

पैसे का लालच इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि सामान्य व्यक्ति के जिंदगी का कोई मोल ही नहीं रह गया है ऐसे में जिन्हें भगवान की संज्ञा दी जाती है वही डॉक्टर प्राइवेट हॉस्पिटलों के जरिए आम जनमानस के दोहन के साथ उनकी जान से भी खिलवाड़ कर रहे हैं रीवा में ऐसे अनेक हॉस्पिटल संचालित है जोकि लाशों का भी सौदा करने में तनिक नहीं कतराते उसी श्रेणी में एक और हॉस्पिटल तेजी से उभर रहा है और इस हॉस्पिटल का संचालन भी ऐसी जगह हो रहा है जो किसी भी वक्त एक बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण दे सकता है ।

देखते ही देखते सैकड़ों लोग काल के गाल में समा सकते हैं जी हां रीवा के पुराने बस स्टैंड के पास में संचालित मिनरवा हॉस्पिटल का संचालन पेट्रोल पंप को चारों तरफ से आच्छादित करके किया जा रहा है अनेक बार ऐसे भयावह मंजर देखे जा चुके हैं जिनमें सेफ्टी व्यवस्था ना होने की वजह से हॉस्पिटलों में आग लगने से कई लोग काल के गाल में समा जाते हैं किंतु यहां तो जानबूझकर लोगों को काल के गाल में डाला जा रहा है।

 परमिशन

सर्वप्रथम तो यही सवाल उठता है कि किस आधार पर पेट्रोल पंप के एरिया में हॉस्पिटल चलाने की परमिशन दी गई पैसों के दम पर हॉस्पिटल संचालन का लाइसेंस वितरण करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर सख्ती से कार्यवाही करनी चाहिए जो कि इस हॉस्पिटल के संचालन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

सुरक्षा व्यवस्थाओं की घोर अनदेखी

बता दें कि मिनर्वा हॉस्पिटल का संचालन पेट्रोल पंप के ऊपर ही किया जा रहा है जिस कारण किसी भी वक्त कोई बड़ी दुर्घटना होना लाजिमी है क्योंकि कभी आग दुर्घटना हुई तो पेट्रोल पंप के कारण हॉस्पिटल के मरीज तो झुलसेंगे ही साथ-साथ अगल-बगल संचालित दुकाने भी नहीं बचेगी क्योंकि हॉस्पिटल का संचालन सेफ्टी रूल को ताक में रखकर किया जा रहा है।

झोलाछाप डॉक्टरों, दलालों व एंबुलेंस ड्राइवरों को मोटे कमीशन का लालच देकर मगवाए जा रहे मरीज

हॉस्पिटल संचालक ने एक ऐसा भी विभाग बना कर रखा है जो कि झोलाछाप डाक्टरों, बंगाली डॉक्टरों, दलालों व एंबुलेंस के ड्राइवरों को मैनेज करते हैं इन सब को मोटे कमीशन का लालच देकर मरीजों को अपने हॉस्पिटल में रेफर करवाते है और मरीज के भर्ती हो जाने के बाद उसका शारीरिक मानसिक व आर्थिक रूप से शोषण करते हैं।

कहने को तो सुबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान यही कहते नजर आते हैं कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जावेगा किंतु यहां हॉस्पिटल के नाम पर दोनों हाथों से लूट मची हुई है व शासन-प्रशासन मूकदर्शक बनकर पैसे बटोरने में लगा है।

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